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Home पर्यटन

यहां के मनमोहक दृश्य आपको खींच लेंगे अपनी ओर

News Desk by News Desk
September 13, 2021
in पर्यटन, संस्कृति
यहां के मनमोहक दृश्य आपको खींच लेंगे अपनी ओर
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जम्मू। यूं तो पूरा जम्मू पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यहां के कई पर्यटनस्थल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होने के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थलोंं के लिए भी जाने जाते हैं। इन्हीं में से एक है ऊधमपुर जिले का प्राचीन कस्बा रामनगर। जम्मू से सौ किलोमीटर दूर स्थित इस कस्बे का ऐतिहासिक शीश महल, किला, समाधि, रानी तालाब, प्राचीन नरसिंह मंदिर, रंग बदलता शिवलिंग, हजारों साल पुराना अक्षर कुंड कस्बे में आने वालों को आकर्षित करता है। यही नहीं पिंगला माता, चौंतरा माता व मरहाडा माता जैसे स्थानों पर हर साल आयोजित होने वाली यात्राएं धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही हैं। स्थानीय संगठन इन स्थलों को प्रसिद्ध बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। शीश महल रामनगर बस अड्डे से मात्र दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित है। इस किले का निर्माण राजा सुचेत सिंह ने किया था। वर्ष 1972 में इस महल के जीर्णोद्धार का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने संभाला। इसके तीन भाग पुराना महल, नया महल और शीश महल हैं। शीश महल के भीतर एक हॉल में अभी भी पेंटिंग्स लगी हुई हैं। यहां शीशों से हुई नक्काशी आकर्षण का केंद्र हैं। आज इस जगह पर अखंड ज्योति कमेटी वाकेथन भी आयोजित करने जा रही है। रामनगर के मुख्य बस अड्डे के साथ ही प्राचीन किला है। किले के प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश, हनुमान जी और मां दुर्गा के चित्र बने हुए हैं। इसके चारों ओर खाई बनी हुई हैए जो पानी से भरी होती थी। भीतर जाने के लिए लकड़ी का एक पुल है। किले के भीतर आज भी तोपों के गोले पड़े हुए हैं। भीतर से यह तीन मंजिला है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने किले के भीतर पार्क भी बनाया हुआ है। किले के साथ ही समाधि भी है। यहीं पर राजा सुचेत सिंह की रानी सती हुई थी। रामनगर बस अड्डे के साथ ही पार्क है। इसी पार्क में प्राचीन रानी तालाब है। इस तलाब को भी महाराजा ने ही बनवाया था। इस तालाब में महाराजा की रानियां स्नान करती थीं। कहते हैं कि रानी ने सती होने से पहले इस तालाब में अपने सभी गहने फेंक दिए थे। इस तालाब को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। रामनगर से मात्र चार किलोमीटर दूर आपशंभु शिवलिंग है। यह दिन में तीन बार रंग बदलता है। इस पर जियोलॉजी विभाग के कुछ विशेषज्ञ शोध कर रहे हैं। मंदिर में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं। यहां के पुजारी नंदीनाथ बाबा का कहना है कि वह कई वर्षों से इस मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं। यहां शिवलिंग के रूप में विराजमान महादेव तीन बार रंग बदलते हैं। ध्यान से देखने पर शिवलिंग पर महादेव की जटाएं व आंखें सब कुछ नजर आता है। रामनगर बस अड्डे से मात्र एक किलोमीटर दूर स्थित अक्षर कुंड भी अपनी अलग पहचान रखता है। यहां पर प्राकृतिक गुफा है। इसके भीतर दो पानी के कुंड हैं। इनमें कभी भी पानी खत्म नहीं होता है। गुफा के भीतर एक पंचमुखी शिवलिंग है। यह गुफा कितनी पुरानी है, किसी को जानकारी नहीं है। कहा जाता है कि यह हजारों साल पुरानी है। रामनगर को नरसिंह नगरी भी कहा जाता है। यहां के ऐतिहासिक महल के साथ ही भगवान नरसिंह जी का पुराना मंदिर भी है। इस मंदिर को भी महाराजा ने ही बनाया था। रामनगर के अधिकांश लोग सुबह अपना काम शुरू करने से पहले भगवान नरसिंह के दर्शन के लिए जाते हैं। यहां पर कोई भी काम इस मंदिर में गए बिना नहीं होता है। रामनगर कस्बे में ही शिव लोक आश्रम है। इसकी स्थापना महात्मा बलराज भारती ने की थी। इस आश्रम में सबसे बड़ी स्थायी यज्ञशाला है। जम्मू कश्मीर में सबसे पुराना महाविष्णु यज्ञ इसी आश्रम में होता है। रामनगर.ऊधमपुर मार्ग पर रामनगर से मात्र 16 किलोमीटर दूर और आधार शिविर से छह किमी. दूर पैदल यात्रा करने पर माता पिंगला देवी की पवित्र गुफा आती है। इसमें आने वाले दिनों में अखंड ज्योति यात्रा भी आयोजित होगी। इस गुफा में माता पांच रूप में विराजमान हैं। यही नहीं गुफा के भीतर अमृत कलश और हनुमान स्तंभ सभी को आकर्षित करता है। चौंतरा माता व मरहाडा माता भी रामनगर में ही स्थित है। रामनगर को मंदिरों का कस्बा भी कहा जाता है। यहां पर भगवान नरसिंह के अलावा कई प्राचीन शिव मंदिर हैं। इनमें नौजी के मंदिर, चिगली चोरी का शिव मंदिर, बस अड्डे पर स्थित शिव मंदिर, चौगान में स्थित माता वैष्णो देवी का मंदिर व प्राचीन शीतला माता मंदिर प्रमुख हैं।

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