जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं उसे दिन मकर संक्रांति का पर्व बनाया जाता है कहा जाता है कि सूर्य देव इस दिन अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं । तथा इस पर्व को उत्तरायणी पर्व भी कहा जाता है उत्तरायण पर सूर्य उत्तर की दिशा को बढ़ने लगते हैं इसलिए उत्तरायणी पर्व भी कहा जाता है इस दिन लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर सूर्य की उपासना करते हैं और इस दिन पतंग भी उड़ानें का चलन है। मकरसंक्रांति पर खिचड़ी का भोज भी किया जाता है मकर संक्रांति पर्व पर दान पुण्य की भी काफी महत्वता है इस दिन लोग गुड, तिल ,वह पैसे का भी दान करते हैं। वही उत्तराखंड मैं कहीं-कहीं घुघुती का त्यार (त्योहार)भी बनाया जाता है जिसमें घर-घर में खुशी का माहौल होता है घुघुती में आटे,सुजी,गुड मिलाकर घुघुतिया बनाई जाती हैं जिनको बच्चों के गले में लटका कर कव्वौ को बुलाया जाता है तथा उन्हें घुघुतिया खिलाई जाती है ।उत्तराखंड में मकर संक्रांति का पर्व बड़े हर्ष उल्लास के साथ बनाया जाता है । साथ ही यह पर्व भारत के अन्य प्रदेशों में भी अलग-अलग नाम से इस पर्व को बनाया जाता है।