जहां कुछ दिन पूर्व ही नगवानाथ के एक ग्रामीण को हाथी ने दर्दनाक तरीके से मौत के घाट उतार दिया था । वहीं बेरीगोठ व अन्य ग्रामीण इलाकों में दहशत व्याप्त है । साथ ही खटीमा से लगे गोठ खत्तो में रहने वाले लोगों में भी हाथियों को लेकर दहशत फैली हुई है । हाथियों का झुंड और टस्कर हाथी आए दिन रात्रि होते ही उनकी गेहूं की फसल को बर्बाद करने पहुंच रहे हैं गांव में बिजली व्यवस्था न होने के कारण पूरे गांव में रात्रि होते ही अंधकार फैल जाता है। सौर ऊर्जा से चलने वाले लाइट भी काफी समय होने के कारण अब कुछ घंटे जलने के बाद बंद हो जाते है।खत्तों में बेरीगोठ ,जंगला, रजना, जमुनाभाडी, हेला आदि क्षेत्रों में हाथी व जंगली जानवरों के भय के साए में रहते हैं इन गांव में कच्ची झोपड़ियां है जिस कारण हाथी द्वारा नुकसान पहुंचाने का खतरा अधिक रहता है छोटे-छोटे बच्चे भी इन झोपड़िया में रहने पर मजबूर हैं। पक्के मकान न होने के कारण लोग डरे सहमे रहते हैं। कई ग्रामीणों की झोपड़िया में हाथी ने हमला कर दिया है ऐसे में जान बचाकर ग्रामीण झोपड़ी से निकलकर भागने में मजबूर हो जाते हैं अन्यथा हाथी द्वारा जान का नुकसान बना रहता है। ग्रामीणों में में नैन सिंह का कहना है कि राजनीति से जुड़े लोग वह ग्राम प्रधान चुनाव के समय यहां वोट मांगने के लिए चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं मगर बाद में कोई झांकने भी नहीं आता अब तक भी कोई प्रधान या राजनीति के लोग हमारे यहां हमारी सुध लेने नहीं आए हैं।हमारे यहां लाइट नहीं है सड़क नहीं है पक्के मकान नहीं है और ऐसे में जंगली हाथी, शेर, वह नीलगाय गांव में घूमते रहते हैं ।कच्ची झोपड़ी होने के कारण हाथियों से काफी भय बना रहता है । कई बार हाथियों ने ग्रामीणों के झोपड़िया को तहस-नहस कर रख दिया है जैसे तैसे ग्रामीण अपनी जान बचाकर बच निकलते हैं । आजकल गेहूं की फसल होने के कारण हाथियों का प्रवेश ग्रामीण क्षेत्र में होने लगा है जिस कारण ग्रामीणों को अभी फसल के साथ अपनी जान का भी खतरा बना हुआ है। स्कूली बच्चे जंगलों के रास्ते से तीन से चार किलोमीटर का रास्ता तय कर स्कूलों को पहुंचते हैं जिन्हें रास्ते में जंगली हिंसक जानवरों का खतरा बना रहता है।आपको बता दें इन खत्तों में ग्रामीण करीब 200 या उससे अधिक वर्षों से अपने गोवंशो को पालने के लिए बसे हुए हैं आज शहरों में जहां गाय प्लास्टिक खाकर मर रही है वहीं यह लोग अपने गोवंशो के लिए जंगलों में जीवन यापन कर रहे हैं जहां हिंसक जानवर भी रहते हैं। ऐसे में सरकार इनकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।