

उत्तराखंड में नए शहरों में मिलेंगी अत्याधुनिक सुविधाएं । सरकार ने इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए टास्क फोर्स का भी गठन किया है। चंडीगढ़ के उप नगर मोहाली की तर्ज पर उत्तराखंड में भी अब अलग-अलग शहर बसाए जाएंगे। इसके लिए उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद ने निजी विकासकर्ताओं से आवेदन मांगे हैं। यह टाउनशिप तीन श्रेणियों में विकसित की जा सकती हैं।
इन तीन श्रेणियों में बनेगी टाउनशिप
नेबरहुड– यह छोटी टाउनशिप होगी। मैदानी क्षेत्रों में छह हेक्टेयर से 20 हेक्टेयर और पर्वतीय क्षेत्रों में तीन हेक्टेयर से दस हेक्टेयर भूमि पर ही यह टाउनशिप विकसित की जा सकेगी।
टाउनशिप– मैदानी क्षेत्रों में 20 से 40 हेक्टेयर भूमि पर और पर्वतीय क्षेत्रों में 10 से 20 हेक्टेयर भूमि पर यह टाउनशिप विकसित की जा सकेगी।
स्पेशल टाउनशिप– मैदानी क्षेत्रों में 40 हेक्टेयर से अधिक भूमि और पर्वतीय क्षेत्रों में 20 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर यह टाउनशिप विकसित की जाएगी।
ऐसे बनेंगे छोटे शहर
सरकार ने इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया है। प्राप्त आवेदनों का सर्वेक्षण कराया जाएगा। विशेषज्ञ यह बताएंगे कि संबंधित जमीन पर टाउनशिप विकसित हो सकती है या नहीं। इसके बाद उस जगह का मास्टर प्लान तैयार होगा। विकासकर्ता को उस जगह पर सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी। भू-उपयोग परिवर्तन से लेकर मास्टर प्लान, रेरा से पंजीकरण सहित तमाम सरकारी कामों में विकासकर्ता को परिषद से सहयोग मिलेगा। हालांकि सरकारी शुल्क जमा कराने होंगे।
स्कूल, कॉलेज, अस्पताल तक की सुविधा
मोहाली की तर्ज पर जो शहर बनेंगे, वहां स्कूल, कॉलेज से लेकर अस्पताल और खेल के मैदान तक की पूरी सुविधा होगी। मोहाली को जैसे सेक्टर में बांटा गया है, वैसे ही उत्तराखंड के शहरों को भी सेक्टर में बांटा जा सकेगा। इसमें विशेष क्षेत्र जैसे आईटी कंपनियों के लिए या अन्य रोजगार देने वाली कंपनियों के लिए भी अलग से जगह सुरक्षित की जाएगी। सभी टाउनशिप की उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद निगरानी करेगा।
प्रदेश में नई टाउनशिप विकसित करने के लिए आवेदन मांगे गए हैं। इस योजना को परवान चढ़ाने के लिए टास्क फोर्स भी बनाई गई है। मकसद यह है कि पुराने शहरों का बोझ कम हो और नए शहरों में लोगों को अत्याधुनिक सुविधाएं मिलें।
-आनंद बर्द्धन, अपर मुख्य सचिव, शहरी विकास एवं आवास






