
उत्तराखण्ड। प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को टैबलेट वितरण के लिए जारी बजट पर लैप्स होने का संकट पैदा हो गया है। ट्रेजरी ने सभी डिग्री कॉलेजों से टैबलेट खरीद के बिल और वाउचर 22 मार्च तक मांगे हैं। मालूम हो कि यह बजट चालू वित्तीय वर्ष के लिए ही आवंटित हुआ है। इस अवधि में खर्च न होने पर यह लैप्स हो जाएगा।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखण्ड सरकार ने डिग्री कॉलेजों में स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में अध्ययनरत सभी विद्यार्थियों को टैबलेट देने की घोषणा की थी। इस पर उच्चशिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के 105 राजकीय ने महाविद्यालयों में पंजीकृत लगभग एक लाख पांच हजार विद्यार्थियों के लिए शासन को बजट की डिमांड भेज दी। शासन ने भी छात्र संख्या के आधार पर एक अरब छब्बीस करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया था। इसके अनुसार टैबलेट के बदले उसकी कीमत 12 हजार रुपये प्रत्येक विद्यार्थी के खाते में डीबीटी के माध्यम से ट्रांसफर की जाएगी। जब तक महाविद्यालय विद्यार्थियों का डाटा एकत्र कर पाते तब तक प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। इस कारण टैबलेट की धनराशि विद्यार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफर नहीं हो सकी। ट्रेजरी में कॉलेजों के खाते में भले ही यह बजट आ गया है लेकिन प्राचार्य के खाते में न आने के कारण कोई भी प्राचार्य इसे सीधे विद्यार्थियों के खाते में ट्रांसफर नहीं कर सकता।
इधर, वित्तीय वर्ष समाप्त की ओर है इसलिए ट्रेजरी ने डिग्री कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र भेजकर विद्यार्थियों को वितरित किए जाने वाले टैबलेट क्रय संबंधी बिल और वाउचर 22 मार्च तक मांगे हैं। उसके बाद ही बजट का उपभोग हो सकेगा। ट्रेजरी द्वारा टैबलेट खरीद के बिल और वाउचर मांगे जाने से महाविद्यालयों के प्राचार्य परेशान हो गए हैं।



