उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के नामांकन की सभी प्रक्रिया पूरी हो गई है। शनिवार को नाम वापसी के बाद अब सत्ता संग्राम में कुल 55 प्रत्याशी मैदान में हैं। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने प्रेसवार्ता में बताया कि शनिवार को दोपहर तीन बजे तक नाम वापसी का समय निर्धारित था। प्रदेश की पांच लोकसभा सीट में से केवल एक सीट अल्मोड़ा से निर्दलीय उम्मीदवार अर्जुन कुमार देव ने अपना नामांकन वापस लिया है। उन्होंने बताया कि अब प्रदेश की पांच लोकसभा निर्वाचन सीटों पर कुल 55 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। जिसमें टिहरी सीट पर 11, पौड़ी गढ़वाल पर 13, अल्मोड़ा में सात, नैनीताल में 10 और हरिद्वार में 14 प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे। बात दें कि इस बार 83 लाख 37 हजार 914 मतदाता इन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। चुनाव में 93 हजर 187 सर्विस मतदाता हैं। 18 से 19 साल के एक लाख 48 हजार 90 मतदाता ऐसे हैं जो पहली बार ईवीएम का बटन दबाएंगे। 85 से अधिक आयु वर्ग के 65 हजार 160 और 80 हजार 335 दिव्यांग मतदाता हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में राज्य की केवल अल्मोड़ा सीट पर ही पुराने प्रतिद्वंद्वियों अजय टम्टा और प्रदीप टम्टा के बीच टक्कर होने जा रही है। हरिद्वार और पौड़ी सीट पर दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे, जबकि नैनीताल और टिहरी सीट पर भाजपा के प्रत्याशियों के मुकाबले कांग्रेस ने नए चेहरों को मैदान में उतारा है। सबसे अधिक दिलचस्प यह है कि पांचों सीटों पर दोनों ही बड़ी पार्टियों के छह चेहरे पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। नैनीताल सीट पर भाजपा प्रत्याशी अजय भट्टð और कांग्रेस उम्मीदवार प्रकाश जोशी पहली बार आमने-सामने होंगे। रानीखेत से तीन बार विधायक रहे अजय भट्टð को भाजपा ने पिछली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में नैनीताल संसदीय सीट पर उतारा था। पिछले आम चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व सीएम हरीश रावत को हराकर इस सीट पर लगातार दूसरी बार भाजपा का परचम लहराया था। इससे पूर्व इस सीट पर भाजपा के भगत सिंह कोश्यारी सांसद थे। वहीं इस बार कांग्रेस ने अजय भट्ट के सामने प्रकाश जोशी पर दांव लगाया है। प्रकाश जोशी 2012 और 2017 में कालाढूंगी सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं और दोनों ही बार वह चुनाव हार चुके हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में केसी बाबा कांग्रेस से चुनाव जीते थे। कुमाऊं की यह सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह मुख्यमंत्राी पुष्कर सिंह धामी के गृह जिले की संसदीय सीट है। इस सीट के तहत नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले के 14 विधानसभा क्षेत्रा आते हैं। 2012 का उपचुनाव जीतने के बाद से बीजेपी की माला राज्यलक्ष्मी शाह टिहरी लोकसभा सीट से लगातार कांग्रेस प्रत्याशी को परास्त कर रही हैं। उनसे मुकाबला करने के लिए इस बार कांग्रेस ने दो बार मसूरी से विधायक रहे जोत सिंह गुनसोला को चुनावी मैदान में उतारा है। गुनसोला पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। 1991 से 2006 तक इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा। हरिद्वार में भाजपा उम्मीदवार त्रिवेंद्र रावत और पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे व कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र रावत के बीच सियासी वर्चस्व की जंग होगी। दोनों ही प्रत्याशी पहली बार लोकसभा के लिए चुनावी जंग में उतर रहे हैं। हरीश रावत इस सीट से सांसद रह चुके है। लगातार दो बार से इस सीट को बीजेपी जीतती रही है, लेकिन इस बार बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है। बीजेपी ने पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के स्थान पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत को टिकट दिया है, जबकि हरीश रावत ने खुद चुनाव लड़ने के बजाय अपने बेटे को चुनावी मैदान में उतरवाया है। हरिद्वार जिले की एक सीट से हरीश रावत की बेटी विधायक भी है। हरिद्वार जिले के ही खानपुर के विधायक उमेश कुमार ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकी है। हरिद्वार संसदीय क्षेत्रा में देहरादून की डोईवाला, ऋषिकेश और धर्मपुर विधानसभा क्षेत्रा आते हैं। पौड़ी सीट पर भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी और कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल दोनों ही नए चेहरे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दोनों ही पार्टियों ने नए चेहरे पर दांव खेला था। तब बीजेपी के तीरथ सिंह रावत के सामने कांग्रेस ने पूर्व सीएम भुवन चंद्र खंडूडी के बेटे मनीष खंडूडी को टिकट दिया था, लेकिन खंडूडी चुनाव हार गए। यह सीट भाजपा की झोली में गई थी। इस बार भाजपा ने राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी को मैदान में उतारा है। वह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। अनिल बलूनी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने दो बार के विधायक रहे गणेश गोदियाल को टिकट थमाया है। गणेश गोदियाल कुल तीन बार और लगातार दो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। गोदियाल भी पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। वह कुछ समय के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अल्मोड़ा सीट पर 1991 से ही भाजपा का दबदबा है। केवल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा को जीत मिली थी। पिछले दो चुनाव से भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा को लगातार मात देने में सफल हो रहे हैं। चुनावी मैदान में दो टम्टा तीसरी बार आमने-सामने होंगे। इस चुनाव से काफी हद तक प्रदीप टम्टा का सियासी भविष्य भी तय होगा। 1991 से इस सीट से हरीश रावत सांसद बनते रहे। तब इस सीट को कांग्रेस के गढ़ के तौर पर जाना जाता था। अल्मोड़ा संसदीय सीट रिजर्व है, जो नेपाल, चीन सीमा से भी लगी है। इस सीट के तहत अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चंपावत जिले के 14 विधानसभा क्षेत्रा आते हैं।