भाजपा के पूर्व चंपावत जिला अध्यक्ष दीप पाठक ने उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को एक पत्र भेजा है जिसमे कहा गया है कि समाचार पत्रों के माध्यम से एवम पीड़ितों से जानकारी मिल रही है कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में अतिक्रमण हटाया जा रहा है परन्तु संज्ञान में लाना चाहता हूं कि हमारे पहाड़ी क्षेत्रों में जैसे मैं अपने जिले चम्पावत का उदाहरण स्वरूप अवगत कराना चाहता हूं कि सुखीढांग से बाराकोट, पाटी, हम कह सकते हैं कि समस्त उत्तराखण्ड के समस्त पहाड़ी छेत्र में सड़क किनारे चाय की दुकान पहाड़ी सब्जी फल भोजन इत्यादि की दुकान बना कर अपना स्वरोजगार कर रहे जन मानस को अतिक्रमणकारियों की श्रेणी में मान कर उनके कच्चे पक्के दुकानों को उजाड़ा जा रहा है। जबकि उनके द्वारा सड़क से पर्याप्त दूरी पर स्वरोजगार किया जा रहा है महोदय यह सब हमारे पहाड़ो के प्रहरी है बहार से आने वाले पर्यटकों के गाइड हैं यदि कभी रात्रि में या असमय दुर्भाग्य से कोई दुर्घटना हो जाती है तो उसमें शाशन प्रशासन को सूचना करते है सहयोग करते हैं ।पहाड़ में आने वाले पर्यटक को मात्र साठ सत्तर रुपये में भोजन कराते हैं अतिथि देवो भवः के भाव से उनका हर सम्भव सहयोग करते है सांथ ही कोई संदिग्ध व्यक्ति वाहन में दिखते है तो उसकी जानकारी भी प्रशासन को देते है। यदि उक्त लोगों की दुकानों को यूं ही अतिक्रमणकारी कहते ध्वस्त कर दिया जाएगा तो इसका प्रत्यक्ष नुकसान इन सभी को तो होगा ही सांथ ही समाज को और सरकार को भी होगा अतः मेरा विनम्र आग्रह है कि उत्तराखण्ड के पहाड़ के इन स्थानीय जनों के लिए इनके स्वरोजगार को बनाने के लिए कोई उचित कानून बनाया जाय या सर्वोच्च न्यायालय से रोक लगाने हेतु आग्रह किया जाय ।
महोदय मुझे भी यह संदेश बड़ी आशा से उक्त पीडितों ने मुझसे आग्रह किया जिसको आपको अवगत कराने का आग्रह किया गया जसको मेरे द्वारा उनकी भावना को अपने और उनके शब्दो मे आपको अवगत करा रहूं उक्त विषय मे आपका सहयोग प्रर्थनीय है और आशा ही नही विश्वास है कि उक्त विषय मे आपके द्वारा अवश्य आवश्यक कार्यवाही की जाय।