वन हमारे जीवन कि एक अमूल्य धरोहर है। वनों से सरकार प्रतिवर्ष बहमूल्य लकड़ी जड़ी बूटियों की प्राप्ति करती है। जो आय का प्रमुख साधन है। साथ ही मानव हमेशा ही पशुओं के लिए चारा जलाने के लिए लकड़ी अनेक जड़ी बूटियों को प्राप्त करता है। वन अनेक वन्य जीव जंतु का घर भी है। इसमें अनेक प्रकार के जंगली जानवर पशु पक्षी कीट निवास करते हैं। वनो मैं जाने से एक अलग प्रकार की शांति मिलती है। वन्य जीव जंतुओं को देखकर मानव का मन प्रसन्न होता है और कई दिनों तक उसकी यादें संजोए रखता है। देखा जाए तो वनों में अभी भी अनेक प्रकार की जड़ी बूटियां है जिसका प्रयोग मानव नहीं कर पाया है ना हीं खोज पाया है। वनों से हमें लकड़ी के साथ-साथ जीवनदायिनी औषधियों की प्राप्ति होती है जो मानव सदियों से प्रयोग करता आया है एक प्रकार से वन नहीं तो जीवन नहीं।वनों में सैलानियों को भ्रमण करा कर एक रोजगार का नया अवसर भी मिल रहा है। जिससे धन कि आय भी हो रही है।वनों में कई ऐसे सौंदर्य क्षेत्र भी हैं जिन्हें मानव अभी भी नहीं देख पाया होगा।हमें वनों को आग से भी बचाना चाहिए जिसमें कई कीमती लकड़ी जड़ी बूटियों के साथ मासूम जंगली जानवरो की मौत हो जाती हैं। वनों को जानने वाले कहते हैं कि जंगल की एक अलग ही दुनिया होती । जंगल पहाड़ी व मैदानी दलदली अपने क्षेत्र में पाए जाते हैं।भारत में वन महोत्सव जुलाई 1950 से ही मनाया गया
सीएन, नईदिल्ली। विश्व के विभिन्न देशों में वनों को महत्व देने के लिए हर साल 21 मार्च को विश्व वन दिवस मनाया जाता है। 21 मार्च को दक्षिणी गोलार्ध में रात और दिन बराबर होते हैं। यह दिन वनों और वन के महत्त्व और समाज में उनके योगदान के तौर पर मनाया जाता है। वर्ष 1971 में पहली बार विश्व वानिकी दिवस मनाया गया था। भारत में वन महोत्सव जुलाई 1950 से ही मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत तत्कालीन गृहमंत्री कुलपति केएम मुंशी ने की थी।