खालिस्तानी समर्थक एवं ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया अमृतपाल सिंह के साथियों को आज अजनाला कोर्ट में पेश किया गया. यहां उनका मेडिकल करवाया गया, जिसकी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि उसके दो साथी एचआईवी पॉजिटिव हैं. यह जानकारी ‘वारिस पंजाब दे’ की ओर से केस लड़ रहे एडवोकेट बरिंदर सिंह ने दी है. उधर, पुलिस से बचने के लिए हर तरकीब अपना रहा है. पुलिस भी उसको पकड़ने के लिए दिन-रात एक किए हुए है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड के बाद अब नेपाल में उसकी तलाश शुरू की गई. इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), पंजाब पुलिस और दिल्ली पुलिस की टीमें उसको नेपाल में तलाश रही हैं.
20 मार्च को हरियाणा के बाद अमृतपाल आगे कहां गया, इसको लेकर कोई पुख्ता सुराग पंजाब पुलिस के हाथ नहीं लगा है. मगर, ये जानकारी सामने आई कि 23 मार्च को अमृतपाल यूपी के लखीमपुर खीरी में था. यहां से नेपाल बॉर्डर की दूरी कुछ घंटों की है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि वो नेपाल न भाग गया हो. लिहाजा, नेपाल में भी उसकी तलाश शुरू कर दी गई है.
पिछले 4-5 सालों से सोशल मीडिया पर एक्टिव है
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अमृतपाल कट्टरपंथी विचारधारा वाला शख्स है और जरनैल सिंह भिंडरावाले के ऑडियो कैसेट सुनने का शौक रखता है. दुबई में रहने के दौरान उसने हमेशा बाल छोटे रखे. इतना ही नहीं पगड़ी भी बांधी और न ही लंबे बाल रखे. पिछले 4-5 सालों से वो सोशल मीडिया पर एक्टिव है. अक्सर लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए पंजाब और सिखों से जुड़े धार्मिक राजनीतिक व सामाजिक मुद्दों पर भाषण देता था.
‘वारिस पंजाब दे’ का क्या है एजेंडा?
‘वारिस पंजाब दे’ पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई का दावा करता है. इस संगठन के जरिए दीप सिद्धू ने पंजाब के हक की लड़ाई को आगे बढ़ाना का मकसद बताया था और यह भी कहा था कि ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन किसी राजनीतिक एजेंडे पर नहीं चलेगा. मगर, सियासत से इसके संबंध और खालिस्तान की मांग करने वाले लोग इससे जुड़े रहे. लोकसभा सीट संगरूर पर हुए उपचुनाव में सिमरनजीत सिंह ने जीत दर्ज की थी. सिमरनजीत खालिस्तान के लिए आवाज उठाते रहते हैं.
ऐसे सुर्खियों में आया अमृतपाल सिंह
अमृतपाल सिंह अमृतसर में अपने करीबी सहयोगी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करके सुर्खियां में आया था. फरवरी 2022 तक अमृतपाल पश्चिमी देशों के जीवन शैली से प्रभावित था. वह दुबई में अपने रिश्तेदार के साथ उनका ट्रांसपोर्ट बिजनेस देखता था और अपना अधिकांश समय सोशल मीडिया पर बिताता था.
दीप सिद्धू की मौत और अमृतपाल का उदय
फरवरी 2022 में दीप सिद्धू की मौत हो गई इसके बाद सब कुछ बदल सा गया. दीप सिद्धू की मौत से उसके समर्थक निराश हो गए और खुद को अकेला महसूस करने लगे. इस हालात का अमृतपाल सिंह ने फायदा उठाया और सिद्धू की मौत के बाद खालीपन को भरने की कोशिश में उसने खुद को ‘वारिस पंजाब दे’ का नया मुखिया घोषित कर दिया.
इस समूह का गठन दीप सिद्धू द्वारा किया गया था, जब उसे प्रदर्शनकारी किसान संघों द्वारा मंच साझा करने से रोक दिया गया था. सिद्धू के परिवार ने शुरू में अमृतपाल सिंह के संगठन का मुखिया बनने पर आपत्ति जताई थी. अमृतपाल के खालिस्तानी हमदर्दों के बीच मशहूर होने की एक बड़ी वजह यह थी कि उसने अपने अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पंजाब को आधार बनाया था. जबकि गुरपतवंत पन्नू जैसे कई अलगाववादी विदेशों से अपना कारोबार चला रहे थे, अमृतपाल ने भारत से अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्लान किया.