सीडब्ल्यूसी में कार्यरत आर्मी रिटायर मनोज तिवारी द्वारा आर्मी में सेवा देने के बाद अब सीडब्ल्यूसी संस्था में कार्य करते हुए बिछड़े हुए बच्चों को परिवारजनों से मिलाकर अब भी देश सेवा दे रहे हैं।एक नाबालिक बालिका 10 अगस्त को नेपाल बॉर्डर पर लावारिस अवस्था मे घूमती हुई मिली थी, बालिका आसाम से अपने घरवालों से नाराज़ होकर घर से निकल गयी तथा भटकते हुए यहां पहुँच गयी, बालिका के परिजनों को आसाम से बुलाकर कल शाम को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया ।
यह घटना बनबसा क्षेत्र की है जहां घर वालों से नाराज होकर दिल्ली से पहुंची असम की किशोरी को बृहस्पतिवार को उसके परिवार वालों को सौंप दिया।
बनबसा सीमा स्थित एसएसबी चौकी पर 10 अगस्त को लावारिस हालत में मिली एक बालिका इसे नेपाली अपने साथ ले जा रहे थे उक्त बालिका से एसएसबी जवानों ने रोककर पूछताछ की। इसके बाद उज्ज्वला पुनर्वास केंद्र भेज दिया गया। सीडब्ल्यूसी द्वारा उक्त बालिका से पूछताछ के बाद बड़ी मुश्किलों से जानकारी जुटाई । तथा परिजनों से संपर्क कर उनको बालिका के बारे में जानकारी दी गई उसके पिता, भाई, मामा और जीजा यहां पहुंचे।
उन्होंने बताया कि किशोरी एक महीने से लापता थी। बिछड़ी हुई बालिका को उनके परिवारजनो से मिलने में सीडब्लूसी सदस्य व आर्मी रिटायर्ड मनोज तिवारी, आनंदी अधिकारी, सरोज चंद, विनीता रजवार, प्रकाश चंद्र, जनक चंद आदि थे। बिछड़े बालक बालिकाओं को मिलाने में सीडब्ल्यूसी में कार्यरत मनोज तिवारी ने बताया कि अब तक उनकी संस्था द्वारा 7 से 8 बालक बालिकाओं को उनके परिजनों से मिलाने का कार्य किया गया है।