खटीमा विकासखंड के ग्राम सभा बिरिया की कवित्री बसंती सामंत ने अपनी स्वरचित कविता भेजी है। समाजसेवी कवित्री बसंती सामंत को क्षेत्र में अनेकों सम्मान मिल चुके हैं। जिसमें अब तक काव्य प्रभा कवि 2020, काव्य मंजरी 2021,अटल हिंदी 2020,उत्तराखंड नारी शक्ति सागर 2021,उत्तराखंड नारी गौरव सम्मान 2021,हिंदी साहित्य दर्पण 2022 से भी नवाजा जा चुका है।
बसन्त
कल्पित हुए स्वप्न फिर बसंत में
श्रृंगार कर धानी चुनरिया ओढ़
नववधू चली जैसे पनघट की ओर
पतझड़ के पत्ते है ऐसे
घूघंरु पायल के टूट गए हो जैसे
अनछुई कली जैसे फिर शर्माई है
अमिया पेड़ों पर वैसे बौराई है
मादक नयन मौसम बसंती
देख भ्रमर का दिल भी धड़का है
दरख्तों को सूखे करार आया है
पैगाम जब से ऋतुराज लाया है
सुन रे सखी बसंत आया है
समा रुहानी दोनों पहर की
मीठी धूप बदन निखराए
खेतों में सरसों पीली लहराए
किशुंक फूलों पर मड़राए
देख चुका मन कितने पतझड़
विरह मिलन की आस लिए
नवल युगागम आया है
सुन रे सखी बसंत छाया है।