

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्राओं ने तहसील में जमकर नारेबाजी की। छात्राओं का कहना है कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के तहत आयोजित की जाने वाली राज्य सेवा परिक्षाओं में उत्तराखंड की महिलाओं को तीस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया जाए। विद्यार्थियों ने एसडीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा।
शुक्रवार को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्राओं का एक दल तहसील पहुंचा। छात्राओं ने अंकिता चंद के नेतृत्व में एसडीएम हिमांशु कफल्टिया को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि उत्तराखंड सम्मिलित राज्य अधीनस्थ प्रवर सेवा के 318 पदों की प्रारंभिक परीक्षा 3 अप्रैल को कराई गई। जिसकी मुख्य परीक्षा 14-17 अक्टूबर को प्रस्तावित है। बताया हाई कोर्ट के दिए निर्णय में उत्तराखंड की महिलाओं को मिलने वाले 30 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक मानते हुए समाप्त कर दिया गया है। जिससे प्रदेश की सभी महिलाओं के हितों का हनन हुआ है। कहा पर्वतीय महिलाओं की विषम परिस्थितियों को समझते हुए महिलाओं को राज्य सेवाओं में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। जिसे अवैध करार करते हुए प्रदेश की हजारों महिलाएं पीसीएस मुख्य परीक्षा में अपने प्रतिनिधित्व के अधिकार से वंचित रह जाएंगे। कहा राज्य सेवाओं में प्रदेश की महिलाओं को मिल रहे 30 प्रतिशत आरक्षण को बहाल करके मुख्य परीक्षा में अपना प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जाए। ताकि प्रदेश की महिला अभ्यर्थी के मन में मुख्य परीक्षा में बैठते समय उसके मन में किसी प्रकार का संशय न रहे। यहां उद्देश्य शर्मा, कोमल, निकिता, पारुल, वैशाली, प्रिया आदि रहे।






