

गौरा पर्व को लेकर चंपावत के पर्वतीय मैदानी क्षेत्रों में आजकल गौरा महेश उत्सव को लेकर महिलाओं द्वारा गायनो की धूम मची है ।मान्यता अनुसार प्रथम दिन गौरा माता को घरों में बिठाया जाता है उसके दूसरे दिन ही भगवान महेश को घर में बिठाया जाता है। तथा परंपरा अनुसार व्रत पूजा-पाठ आदि कर महिलाएं इस पर्व को बनाती हैं ।वही 6 से 7 दिन तक महिलाएं गौरा के गीत भी गाते हैं जिसमें आज खेतखेड़ा थ्वालखेड़ा की महिलाओं ने “दय्यान होया गौरा मैय्या तुम्हारी बड़ी महिमा विराज दय्यान होया महेश्वरा तुम्हारी बड़ी महिमा बिराजा” आदि गीतों को गाया गया। #मान्यता है कि इस दिन गौरा मैय्या भगवान शिव से किसी बात में रूठ कर अपने मायके पर्वत आती हैं और वही भगवान महेश गौरा को मनाने दूसरे दिन पर्वत पहूंचते है# गौरा महेश पर्व को सातू आठू का पर्व भी कहा जाता है। कहीं पर गौरा पर्व भी कहा जाता है भारत टनकपुर क्षेत्र नेपाल देश से सटे होने के कारण नेपाल देश में भी गौरा का विशेष पर्व बनाया जाता है पारंपरिक तौर तरीकों से पूजा-पाठ कर गौरा महेश को बिठाया जाता है व स्थानीय लोगों द्वारा गौरा के गीतों को गाया जाता है। महिलाएं सज धज कर पुरे श्रृंगार कर भक्तिमय गीत वह गोरा के गीतों को गाती हैं। व विसर्जन के साथ संपन्न किया जाता है।






